मुझ जैसा कोई रो रहा है !
क्योंकि तुम जैसा कोई उसे छेड़ रहा है !!
भैया क्या तुम ऐसा कर सकते हो !
हर नारी को सम्मान दे सकते हो !!
ताकि वो फिर न डर के रहेगी !
मेरी तरह वो भी खुली हवा में सांस ले सकेगी !!
सही अर्थों में तभी राखी की शान बढ़ेगी !
और में गर्व से तुम्हें राखी बाँध सकूंगी !!
क्योंकि तुम जैसा कोई उसे छेड़ रहा है !!
भैया क्या तुम ऐसा कर सकते हो !
हर नारी को सम्मान दे सकते हो !!
ताकि वो फिर न डर के रहेगी !
मेरी तरह वो भी खुली हवा में सांस ले सकेगी !!
सही अर्थों में तभी राखी की शान बढ़ेगी !
और में गर्व से तुम्हें राखी बाँध सकूंगी !!
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