Pages

sagartech. Powered by Blogger.

shayari

Tuesday, 5 August 2014

मगरूर है ,
आपने आप में वों ,
तो रहने दो उन्हें ...!
.
.
.
.
आओ ,
आप और हम ,
मिल कर कोई ,
नया हमसफ़र ढूंढे ,
जो हमे भी समझे और ,
हमारे जज्बात को भी ......!!

No comments:

Post a Comment

 

Blogger news

Blogroll

Most Reading